ऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र

ऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र
विनियोगः-
ॐ अस्य श्रीऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यासः- भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि, ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि, मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।
।।मूल-स्तोत्र।।
ॐ स्मरामि देव-देवेश ! वक्र-तुणडं महा-बलम्। षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये।।१
महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्। महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये।।२
एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये।।३
शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्। सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।४
रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्। रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।५
कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्। कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।६
पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्। पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।७
नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्। नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।८
धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्। धूम्र-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।९
सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्। सर्व-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।१०
भद्र-जातं च रुपं च, पाशांकुश-धरं शुभम्। सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।११
।।फल-श्रुति।।
यः पठेत् ऋण-हरं-स्तोत्रं, प्रातः-काले सुधी नरः। षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति।।१
जो व्यक्ति उक्त “ऋण-मोचन-स्तोत्र’ का नित्य प्रातः-काल पाठ करता है, उसका छः मास में ऋण-निवारण होता है।

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