पीलिया रोग नाशक शाबर मन्त्र
ॐ नमो वीर बैताल । पीलिया को मिटावे, काटे झारे रहै न नेंक।
रहै कहूं तो डारुं छेद-छेद काटे । आन गुरु गोरख-नाथ।
हन हन, हन हन, पच पच, फट् स्वाहा।
विधिः- उक्त मन्त्र को ‘सूर्य-ग्रहण’ के समय १०८ बार जप कर सिद्ध करें । अग्नि जलाकर 108 आहुतियाँ देशी घी से दें इस तरह से मन्त्र सिद्ध हो जाएगा और रोग को नष्ट करने में समर्थ होगा ! फिर शुक्र या शनिवार को काँसे की कटोरी में एक छटाँक तिल का तेल भरकर, उस कटोरी को रोगी के सिर पर रखें और कुएँ की ‘दूब’ से तेल को मन्त्र पढ़ते हुए तब तक चलाते रहें, जब तक तेल पीला न पड़ जाए। ऐसा २ या ३ बार करने से पीलिया रोग सदा के लिए चला जाता है। रोगी जब ठीक हो जाए तो उसे चार लड्डू किसी पेड़ के निचे रखने के लिए कहें !
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