“डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड।
खगर दिखा खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग।
चोला जरी का, फागड़ दीफू, गले फुल-माल, जय जय जयन्त।
जय आदि-शक्ति। जय कालका खपर-धनी। 
जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी।
जय-जय चुण्ड-मुण्ड भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी।
जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी। 
बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”

 विधि- नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित
रखते हुए अगर-बत्ती जलाकर प्रातः-सायं उक्त मन्त्र का ४०-४० जप करे।

कम या ज्यादा न करे। जगदम्बा के दर्शन होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

वाणी की सिद्धि के लिये शक्तिशाली सरस्वती शाबर मन्त्र

शक्ति शाली सुलेमानी मंत्र ( कलाम )

यदि आपकी श्री हनुमान जी के चरणो मे अखंड श्रधा है ये मंत्र आपके लिये ब्रह्मास्त्र के समान सिद्ध होगा