श्रीसुदर्शन-चक्र-विद्या असाध्य रोग – व्याधि निर्मूलन प्रयोग

श्रीसुदर्शन-चक्र-विद्या
असाध्य रोग – व्याधि निर्मूलन प्रयोग

‘श्रीसुदर्शन-चक्र-माला-मन्त्र’ द्वारा छोटी-मोटी बीमारियाँ अल्प काल में ठीक हो जाती है। अभिचार-प्रयोग भी नष्ट हो जाते है, किन्तु यदि दीर्घ-कालीन असाध्य बीमारियाँ हो, तो गन्हें दूर करने के लिए ‘श्रीसुदर्शन-चक्र’ का प्रयोग करना चाहिए-
पहले सिद्ध ‘श्रीसुदर्शन-चक्र’ का विधिवत् पूजन करे। फिर भगवान् श्रीकृष्ण, भगवान् विष्णु व भगवान् दत्तात्रेय की मन्त्र-सिद्धि हेतु प्रार्थना करे। तब ‘चक्र’ को दाहिने हाथ में धारण करे या ‘चक्र’ को दाहिने हाथ में लेकर या ‘चक्र’ के ऊपर अपनी दाई हथेली रखकर निम्न-लिखित ‘रोग-मुक्ति-मन्त्र’ का नित्य निश्चित संख्या में जप करे। कुल जप 1000 करे। हवनादि भी दशांश के प्रमाण में करे, तो उत्तम होगा।
रोग-मुक्ति-मन्त्रः ॐ ह्रीं सुदर्शनाय विद्महे महा-ज्वालाय धीमहि तन्नश्चक्रः प्रचोदयात्।
उपर्युक्त विधि से उक्त मन्त्र का जप करने से प्रतिष्ठित ‘श्रीसुदर्शन-चक्र’ में, रोग के निर्मूलन की शख्ति की वृद्धि होती है। इसके अनुभव साधक को जप-काल में भी हो सकते हैं। कुछ भी अनुभव हो, 10.000 जप करना ही है।
रोग-मुक्ति के लिए निम्न-लिखित उपायों को भी प्रयोग में लाना चाहिए-
क॰ औषधियों को रोग-मुक्ति-मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके उपयोग में लाएँ।
ख॰ ‘श्रीसुदर्शन-माला-मन्त्र’ द्वारा अभिमन्त्रित जल पर १०८ बार रोग-मुक्ति-मन्त्र जप कर पीड़ित व्यक्ति को पीने के लिए दें।
ग॰ ‘श्रीसुदर्शन-माला-मन्त्र’ द्वारा अभिमन्त्रित ‘विभूति पर भी १०८ बार ‘रोग-मुक्ति-मन्त्र’ का जप करें और विभूति पीड़ित व्यक्ति को दें। विभूति को अल्प-मात्रा में दूध, जल, चाय, कॉफी आदि में भी दिया जा सकता है।
घ॰ ‘श्रीसुदर्शन-माला-मन्त्र’ द्वारा अभिमन्त्रित जल के वृत्त में रोगी को सुलाएँ।
ङ॰ यदि रोगी दूर हो, तो उसके लिए नित्य १०८ बार ‘रोग-मुक्ति-मन्त्र’ जप कर विभूति फेंकी जा सकती है या उसे भेज सकते हैं।                                                                              Pt. Dharmpal  Shastri 
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